Best Shayari Collection of Dr. Kumar Vishwas || Mukund Pathak Poems ||

 


Best Shayari Collection of Dr. Kumar Vishwash


आज बहुत ही हर्ष के साथ मै अपने काव्य पाठ से जुडी कुछ बातों को आपलोगों से बांटना चाहता हूँ | मैंने जब अपना काव्य पाठ शुरू किया उस वक़्त मुझे प्रेरणा जिस कवी से प्राप्त हुई आज मैं उन्ही की रचनाओं का उल्लेख करने वाला हूँ | डॉ. कुमार विश्वास, एक प्रतिष्ठित चेहरा एक जाने मने कवी, नेता और जवान दिलों की धड़कन, न जाने किन नामो से सम्बोधित करूँ इन्हे | मै इनकी तारीफ में जो कुछ भी कहूं वह कम ही होगा | वर्षो उपरांत ऐसे कला का जनम होता जो भारत का परचम विदेश में भी लहरा कर आता है | आज हिंदी की कविता के श्रोता भारत के बहार भी कई देशो में उपास्थि है | हिंदी की कविता को सरल भाषा में युवाओं तक पहुंचने का जो सफल प्रयास इन्होने किया है में उसका कोटि कोटि धन्यवाद् करता हूँ | मेरी आयु मात्र 13 वर्ष की थी जब मैंने इन्हे सुनकर अपना काव्य पाठ आरम्भ किया था | तो आए आज उनके हिंदी कविता में महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की जाएगी | और उनके मन भवन रचनाओं से मन प्रफुल्लित भी हो उठेगा | तो जोरदार तालियों से स्वागत करते है हमारे अपने सबके चहिते डॉ. कुमार विश्वाश का | 






अगर बात डॉ. कुमार विश्वाश की हो रही हो और  " कोई दीवाना कहता है " न गयी जाये एसा हो नहीं सकता | 

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है | 
मगर धरती की बेचैनी, को बस बदल समझता है || 

मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है | 
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है 


Koi Deewana Kehta Hai, Koi Pagal Samajhta Hai,
Magar Dharti ki bechaini, ko bas badal samajhta hai...

Mai tujhse dur kaisa hun, tu mujhse dur hai kaisi,
Yeh tera dill samajhta hai, ya mera dill samajhta hai...



यह पंक्ति कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, क्या अध्भुत मिश्रण है प्रेम और बेचैनी की, कवी इस पंक्ति में ये बता रहे है जब कोई व्यक्ति प्रेम में होता है तोह कैसे लोग उसे दीवाना या पागल कह देते है | मगर उस प्रेमी के अंतर मन में जो बेचैनी है वह ठीक धरती के प्रकार होती है, जब ग्रीष्म ऋतू का समय होता है तो धरती में जल का आभाव हो जाता है, वही जल बादल बन कर सावन में बरसता है, कितनी अध्भुत प्रकार से कवी से उस बेचैनी को धरती की बेचैनी से मेल करवाया है | तो जब लोग उसे पागल कह रहे होते है तो उस बेचैनी को समझने वाला बस वो बदल ही होता है | जो दुरी है प्रेमियों के मध्य उसे बस वह दो दिल ही समझ पाते है | अद्भुत रचना | 

मुझे इसपर कुछ याद आता है जो मै यहां उल्लेख करता हूँ -
      " बादल दूर होकर भी जमीन पर बरसता है ,
         एक ये मेरा मन है जो करीब होकर भी मिलने को तरसता है || "



वर्ष 2012 में इनकी एक किताब आयी थी " कोई दीवाना कहता है - डॉ कुमार विश्वाश ".


मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है || 

यहां सब लोग केहते है मेरी आँखों में आंसू है,
जो तू समझे तो मोती है, जो न समझे तो पानी है ||  
 

Mohabbat ek ehsaason ki pawan si kahani hai,
Kabhi Kabira Deewana Tha Kabhi Meera Deewani Hai,

Yeha sab log kehte hai meri aankhon me aansu hai
Jo tu samjhe to moti hai jo na samjhe to paani hai...


इस पंक्ति में कवी प्रेम की सादगी और उसके शुद्ता को कितने रूपवान तरीके से दर्शाया गया है | किसी चीज़ की महत्वा तभी है जब उसे महत्व देने के लिए कोई उपस्थित हो | सब लोग आँखों में देखते है तोह उन्हें आंसू नज़र आता है पर जब प्रेमी उन आँखों को पढ़ कर उन आंसूं को समझ जाये तो वो मोती के सामान है अन्यथा वह पानी है |




बातों ही बातों में मुझे एक और प्यारी पंक्ति याद आती है डॉ. कुमार विश्वाश जी की जो कुछ इस प्रकार है | 

बस्ती बस्ती घोर उदासी, पर्वत पर्वत खालीपन 
मन हीरा बेमोल लूट गया घिस घिसरि सा तन चन्दन 

इस धरती से उस अम्बर दो ही चीज़ गज़ब की है 
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन 


Basti Basti Ghor Udasi Parwat Parwat Khalipan 
Man heera bemol lut gaya ghis ghisri sa tan chandan

Ess dharti se uss ambar tak do hi chiz gazab ki hai
Ek to tera bholapan hai ek mera deewanapan

कितनी मासूम शब्दों में कवी ने प्रेमी की सादगी और अपनी जूनून की व्याख्या की है | सबसे कमल की बात तो यह है की डॉ शाहब ने सभी पंक्तियों को सुर में बांध एसी रचना की है हर प्रेमी ऐसे चलते चलते गुनगुनाता रहे | हिंदी की कविता का यह चमत्कार हिंदी की कविता के ही कवी डॉ कुमार विश्वास जी ने अपनी काव्य पाठ से युवाओं से लेकर हर एक दिल में स्थापित किया है | 

मुझे डॉ शाहब की एक कविता के कुछ पंक्ति याद आते है जिन्हे मै जब भी पढता हूँ मै एक कवी के रूप में प्रफुल्लित हो उठता हूँ | चलिए मै बताता हूँ उस कविता की कुछ पंक्तिया | 

कितनी रंग बिरंगी दुनिया इन दो आँखों में कैसे लाये,
हमसे पूछो इतने अनुभव एक कंठ से कैसे गए | 

कितनी रंग बिरंगी दुनिया 

ऐसे उजले लोग मिले जो अंदर से बेहद काले थे,
ऐसे चतुर मिले जो दिल से साफ सरल भोले भले थे | 

ऐसे धनि मिले जो कंगालों से भी ज्यादा रीते थे,
ऐसे मिले फ़क़ीर जो सोने के घट में पानी पीते थे || 

कितनी रंग बिरंगी दुनिआ 
कितनी रंग बिरंगी दुनिआ 





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